...ताकि बना रहे लोकतंत्र का उत्सव भाव

सत्रहवींलोकसभाकेलिएहोनेवालेचुनावोंकेपहलेचरणकीतारीखनजदीकआनेकेसाथहीदेशकेराजनीतिकहलकोंमेंऊहापोहऔररस्साकशीतेजहोगईहै.ऐसेमेंपक्षऔरविपक्षदोनोंनेअपने-अपनेराजनीतिकहथियारोंकोबलदेनाभीचालूकरदियाहै.सातचरणोंमेंहोनेवालेलोकसभाचुनाव11अप्रैलसेशुरूहोंगेऔर19मईतकचलेंगे.मतगणना23मईकोहोगी.इसचुनावमेंनब्बेकरोड़लोगअपनेमताधिकारकाप्रयोगकरेंगे,जोकि2014केलोकसभाचुनावकेमुकाबलेसाढ़ेआठकरोड़अधिकहै.इनमेंसेलगभगडेढ़करोड़ऐसेयुवामतदाताभीहैंजोपहलीबारअपनावोटडालनेयोग्यहुएहैं.

चुनावआयोगनेइसीकेसाथ-साथआंध्रप्रदेश,अरुणाचलप्रदेश,सिक्किमऔरओडिशासमेतचारराज्योंकेविधानसभाचुनावोंकीभीघोषणाकरदीहै.हालांकिसुरक्षाकारणोंकेचलतेआयोगनेजम्मूएवंकश्मीरमेंचुनावकरानेकोलेकरअभीकोईनिर्णयनहींलियाहै,जिसकीवजहसेकश्मीरकेदोनोंबड़ेदल-पूर्वमुख्यमंत्रीमहबूबामुफ़्तीकीपीपल्सडेमोक्रेटिकपार्टी(पीडीपी)औरउमरअब्दुल्लाकीनेशनलकांफ्रेंस(एनसी)नेथोड़ीनिराशाजाहिरकीहै.

हुल्लड़बाजीकाशिकारहोतालोकतंत्रकाउत्सव

इसमेंकोईदोरायनहींहैकिचुनावलोकतंत्रकासबसेबड़ाउत्सवहोताहै.लोकतान्त्रिकव्यवस्थामेंचुनावअपनेजनप्रतिनिधिकोचुननेकीकेवलएकप्रक्रियामात्रनहींहै,बल्कियहएकऐसीव्यवस्थाहैजिसकेअंतर्गतवैधानिकताप्रदानकरनेकेलिएसमय-समयपररिन्यूअलऑफ़दमैंडेट(जनादेशकानवीकरण)करनाआवश्यकहोताहै.यहांचुनावोंऔरउनसेउत्पन्नविषयोंकाकेवलराजनीतिकपरिवेशनहींहोताहैबल्किउसकेसामाजिक,आर्थिकएवंसांस्कृतिकआयामभीहोतेहैं.दुनियाकेसबसेबड़ेलोकतान्त्रिकदेशभारतमेंभीचुनावोंकोकिसीउत्सव/त्योहारसेकमनहींमानाजाताहैजिसमेंसभीजाति,धर्म,लिंगऔरसमुदायकेलोगअपनेमताधिकारकाप्रयोगकरतेहैं.स्वतंत्रताकेबाद1951मेंहुएपहलेलोकसभाचुनावोंसेलेकरअबतककेसभीछोटे-बड़ेलोकसभा/विधानसभाचुनावोंमेंदलचाहेजोभीजीतेहोंयासरकारचाहेकिसीकीभीबनीहो,अंततःविजयीहमेशाभारतीयलोकतंत्रहीहुआहैजिसनेतमामराजनीतिक,सामाजिकऔरआर्थिकविसंगतियोंऔरखामियोंकेबावजूदहमेशासभीतबकोंऔरविचारोंकोपनपनेकापर्याप्तरूपसेअवसरदियाहै.

हुल्लड़बाजीकाशिकारहोतालोकतंत्रकाउत्सव

भारतीयराजनीतिनेजाने-मानेसमाजशास्त्रीरजनीकोठारीद्वाराबताएगएसाठकेदशकके‘कांग्रेस-सिस्टम’सेहोतेहुएअस्सी-नब्बेकेदशककेगठबंधनसरकारोंकेदौरतकऔरफिर2014मेंपूर्णबहुमतवालीसरकारजैसेकईरंगदेखेहैं.एकतरफजहांपश्चिमकेविकसितदेशोंमेंमतदानकागिरताहुआप्रतिशतचिंताकाविषयबनरहाहैवहींदूसरीओरभारतमेंमतदानकाबढ़नायहबतानेकेलिएकाफीहैकिदेशकीजनतामेंसमयकेसाथ-साथलोकतंत्रकेप्रतिआस्थाबढ़ीहीहै.प्रख्यातराजनीतिकवैज्ञानिकयोगेन्द्रयादवनेअस्सीकेदशकमेंबढ़ेहुएइसमतऔरसमाजकेदलितएवंपिछड़ेसमुदायोंसेआनेवालेनेतृत्वको‘सेकंडडेमोक्रेटिकअपसर्ज’कानामदियाहै.

हालांकियहकहनाभीअतिशयोक्तिहीहोगाकिहमएकपरिपक्वलोकतंत्रकेरूपमेंपूरीतरहसेस्थापितहोचुकेहैं,लेकिनयहबातबिलकुलसत्यहैकिभारतीयलोकतंत्रकीसातदशककीइसलम्बीयात्रामेंइसनेकईउतार-चढ़ावदेखेहैंऔरउन्हींकेबीचअनेककीर्तिमानस्थापितकियेहैं.उत्तर-औपनिवेशिकराज्यों(पोस्ट-कॉलोनियलस्टेट्स)मेंकेवलभारतहीऐसादेशहैजहांपरलोकतान्त्रिकव्यवस्थाकभीडगमगाईनहीं(आपातकालकेसंक्षिप्तसमयकेअलावा),बल्किऔरअधिकविविध,समावेशीऔरव्यापकबनकरउभरी.यहसबतब,जबकिहमआजतकअपनीजनसंख्याकेएकबड़ेहिस्सेकोबिजली,पानी,सड़कएवंशिक्षाजैसीमूलभूतसुविधाएंदेनेमेंअसफलसाबितहुएहैं.औरयहभीएकदुखदसच्चाईहैकिमतदानमेंबढ़ोत्तरीकेबावजूदआजकेसमयमेंचुनावआमआदमीसेदूरहोताजारहाहै.

चुनावआयोगद्वाराचुनावोंमेंधन-बलकोकमकरनेहेतुउठाएगएकदमोंकेबावजूदभीजिसतरहसेराजनीतिकदलएवंप्रत्याशीचुनावोंमेंभीषणपैसाखर्चकररहेहैंउससेचुनावलड़नाकेवलअमीरोंकाखेलबनताजारहाहै.कोईआश्चर्यकीबातनहींहैकिसंसदमेंकरोड़पतिसांसदोंकीसंख्याचुनावदरचुनावबढ़तीहीजारहीहै.इसकेअलावाबाहुबलीएवंआपराधिकमामलोंकेआरोपीनेताओंकासंसदमेंचुनाजानाबेहददुर्भाग्यपूर्णहै.भलेहीराजनीतिकदलसार्वजानिकरूपसेइसकीआलोचनाकरतेहों,लेकिनचुनावजीतनेकेलिएऐसेदागदारछविवालेलोगोंकोटिकटदेनेमेंकोईगुरेजनहींरखतेहैं.

वैसेतत्कालीनसमयमेंलोकतांत्रिकव्यवस्थाकोकेवलधनबलऔरबाहुबलसेहीखतरानहींहै,बल्किसूचनाएवंप्रौद्योगिकीक्रांतिकेउप-उत्पाद(byproduct)-पेडन्यूज,फेकन्यूजआदिसेभीहै.इसतरहकीचीजेंलोकतंत्रकोभीतरसेहीकमजोरकरतीहैं,क्योंकिइसकाअसरपरोक्षरूपसेलोकतंत्रकेलिएआवश्यकजवाबदेहीऔरसत्यनिष्ठापरपड़ताहै.फेसबुक,व्हाट्सएपऔरट्विटरजितनेहीक्रांतिकारीहैंउतनेहीखतरनाकभी.इसकेकईउदाहरणहमनेहालहीकेसमयमेंदेखेहैंजबइन्हींसोशलमीडियामाध्यमोंसेकईराज्योंमेंदंगे,फसादऔरलिंचिंगजैसीअमानवीयघटनाओंकोअंजामदियागया.कोईभीफर्जी-समाचारउतनाहीनुकसानदायकहैजितनाकिसहीसमाचारकाअभाव.वहींदूसरीतरफनब्बेकेदशकमेंशुरूहुएआर्थिकसुधारोंनेभलेहीदेशकीएकबड़ीआबादीकोगरीबीरेखासेऊपरलानेमेंबड़ायोगदानदियाहै,लेकिनउनकीवजहसेउत्पन्नहुईआर्थिकअसमानताकाअसरदेशकेराजनीतिकपरिदृश्यपरभीदेखनेकोमिलाहै.गरीब,किसानऔरमजदूरकेमुद्देकेवलराजनीतिकदलोंकेघोषणापत्रोंकोलुभावनाबनानेतकहीसीमितरहगएहैंऔरकोईभीदलइनकीसमस्याओंकोलेकरगंभीरनहींनजरआताहै.

आनेवालेचुनावोंमेंउम्मीदकीजानीचाहिएकिनेताएकदूसरेकेऊपरनिजीआरोप-प्रत्यारोपकीराजनीतिनकरतेहुएविचारधाराऔरविचारोंकोचुनावीमुद्दाबनाएंगे.आगामीचुनावजाति,धर्मऔरक्षेत्रकेबजाएयदिकिसान,छात्र,मज़दूर,नौकरीपेशालोगोंकीसमस्याओंऔरउनकेसमाधानकेमुद्दोंपरलड़ाजाएतोशायदहमयहकहसकेंगेकिहमएकपरिपक्वलोकतंत्रबननेकीदिशामेंबढ़रहेहैं.वैसेअभीतोयहलगताहैजैसेहमभीड़तंत्रऔरराजनीतिकहुल्लड़बाजीकीओरअग्रसरहैं.संवादकीसंस्कृतिखत्महोरहीहैऔरशोर-गालिगलोजकीप्रवृत्तितेजीसेफैलरहीहै.परिणामस्वरूपलोकतंत्रमें‘लोक’कहींखोताजारहाहैऔरजैसे-तैसेसिर्फ‘तंत्र’हीखड़ाहुआहै,जिसकासमाधानकरनाबहुतजरूरीहै.आनेवालेदोमहीनोंमेंयहपताचलजाएगाकि‘लोक’और‘तंत्र’एक-दूसरेकेकितनेनिकटआपाए!

(लेखकजवाहरलालनेहरूविश्वविद्यालयमेंस्कूलऑफइंटरनेशनलस्टडीजकेशोधार्थीहैं.)(डिस्क्लेमर:इसआलेखमेंव्यक्तकिएगएविचारलेखककेनिजीविचारहैं)

(लेखकजवाहरलालनेहरूविश्वविद्यालयमेंस्कूलऑफइंटरनेशनलस्टडीजकेशोधार्थीहैं.)

(डिस्क्लेमर:इसआलेखमेंव्यक्तकिएगएविचारलेखककेनिजीविचारहैं)