नयीदिल्ली,15अक्टूबर(भाषा)उच्चतमन्यायालयनेबृहस्पतिवारकोएकमहत्वपूर्णफैसलेमेंकहाकिफौजदारीअदालतद्वाराघरेलूहिंसाकानूनमेंकिसीविवाहितमहिलाकोदियागयाआवासकाअधिकार‘‘प्रासंगिक’’हैऔरसुसरालकेघरसेउसेनिष्कासितकरनेकीदीवानीकार्यवाहीमेंभीउसपरविचारकियाजासकताहै।घरेलूहिंसासेमहिलाओंकेसंरक्षणकानून,2005परविस्तारसेचर्चाकरतेहुएउच्चतमन्यायालयनेकहा,‘‘किसीभीसमाजकीप्रगतिमहिलाओंकेअधिकारोंकीरक्षाकरनेऔरउसेबढ़ावादेनेकीक्षमतापरनिर्भरकरतीहै।’’इसनेकहा,‘‘संविधानद्वारामहिलाओंकोसमानअधिकारऔरविशेषाधिकारकीगारंटीदेनादेशमेंमहिलाओंकीस्थितिमेंसुधारलानेकीतरफबढ़ायागयाकदमथा।’’न्यायमूर्तिअशोकभूषण,न्यायमूर्तिआर.सुभाषरेड्डीऔरन्यायमूर्तिएम.आर.शाहकीपीठनेकानूनकेतहत‘‘साझाघर’’कीपरिभाषाकीव्याख्यावालेपहलेकेफैसलेको‘‘गलतकानून’’करारदियाऔरइसेदरकिनारकरदिया।पीठनेकहाकिपरिभाषाकाफीव्यापकहैऔरइसकाउद्देश्यकानूनकेतहतपीड़ितमहिलाकोआवासमुहैयाकरानाहै।पीठनेअपने151पन्नेकेफैसलेमेंकहा,‘‘अनुच्छेद2(एस)केतहतसाझाघरकीपरिभाषाकेवलयहीनहींहैकिवहघरजोसंयुक्तपरिवारकाघरहोजिसमेंपतिभीएकसदस्यहैयाजिसमेंपीड़ितमहिलाकेपतिकाहिस्साहै।’’इसनेकहाकिसाझाघरवहस्थानहैजहांमहिलारहतीहैयाघरेलूसंबंधमेंअकेलेअथवापतिकेसाथकभीरहीहोऔरइसमेंवहघरभीशामिलहैजिसपर‘‘मालिकानाहकहैयाजोकिरायेपरदियागयाहै।’’बहरहाल,शीर्षअदालतनेकहाकिकानूनकेतहतकिसीमहिलाकेआवासकेअधिकारकीरक्षापरअंतरिमआदेशसंपतिकोलेकरदायरकिएजानेवालेदीवानीमामलोंकेआड़ेनहींआएगा।फैसलेमेंकहागयाकिविभिन्नपक्षोंद्वारापेशसाक्ष्योंकेआधारपरदीवानीअदालतेंमुद्दोंकोतयकरेंगी।शीर्षअदालतकाफैसला76वर्षीयदिल्लीनिवासीसतीशचंदरआहूजाकीयाचिकापरआईजिन्होंनेदिल्लीउच्चन्यायालयकेफैसलेकोचुनौतीदीथी।दिल्लीउच्चन्यायालयने2019मेंनिचलीअदालतकेएकफैसलेकोदरकिनारकरदियाजिसमेंआहूजाकीपुत्रवधूकोउनकापरिसरखालीकरनेकाआदेशदियागयाथा।आहूजानेकहाथाकिसंपत्तिउनकीहैऔरइसपरनतोउनकेबेटेयानहीउनकीपुत्रवधूकामालिकानाहकहैजिसकेबादअदालतनेमहिलाकोपरिसरखालीकरनेकेआदेशदिएथे।