सत्ता में आने के बाद पहले साल जयराम सरकार ने 4240 करोड़ रुपये का प्रविधान किया था। अगले वर्ष करीब तीन हजार करोड़ की वृद्धि की। मौजूदा तीसरे वर्ष छह हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रविधान था। अब चौथे बजट में करीब दो हजार करोड़ रुपये की कमी होने से पूंजीगत व्यय छह हजार करोड़ रुपये से नीचे आ सकता है। यदि मौजूदा वित्त वर्ष में संस्थागत संस्थान खोलने की बात की जाए तो सरकार ने दो हजार करोड़ से अधिक खर्च करने की हिम्मत दिखाते हुए 4580 करोड़ से बढ़ाकर 6255 करोड़ किया था।