तार के उस पार लगभग 45 गांव हैं इन गांवों के लोगों को अपने घर से अगर कही जाना हो या फिर स्कूल कालेज के विद्यार्थियों को आना जाना हो तो तार पर लगे गेट को खुलने का इंतजार करना पड़ता है। कुछ क्षेत्र में सेना ने गेट खोलने व बंद करने का समय भी तय किया हुआ है और कुछ क्षेत्र में सेना के जवान पूछताछ के बाद गेट को खोल देते हैं। तार के उस पार रहने वाले लोगों को उस सयम परेशानी होती है जब किसी की शादी होती है या फिर किसी की मौत हो जाती है। उस समय लोगों का आना जाना होता है, लेकिन जो भी बाहर से आए उसका नाम गेट पर दर्ज करवाना होता है। उसके बाद ही वह आ जा सकता है।